Gandhiji Ki Sikh Motivational Story In Hindi. गांधीजी की सिख - Moral Mantra

Gandhiji Ki Sikh Motivational Story In Hindi. गांधीजी की सिख

बहुत समय पहले जब गांधीजी अपने आश्रम में रहा करते थे उस समय अक्सर लोग उनसे मिलने उनके आश्रम आया करते थे । उसमेँ से कई लोग अपनी छोटी – मोटी समस्या भी गांधीजी के सामने रखते थे ।
एक दिन गांधी जी से मिलने एक आदमी अपनी पत्नी के साथ आता है और बातोँ बातोँ मेँ अपने बेटे की बीडी पीने की आदत का ज़िक्र करता है । उस आदमी का लडका अपने मम्मी पापा से छुप कर बीडी पीता था जब घर वालो को पता चला तो उन्होने बेटे को समझाया । बेटे ने यह कहकर बात को टाल दिया कि यह आदत मै जब चाहूँ तब छोड दूंगा । काफी समय के बाद भी

उसने अपने आदत नहीँ छोड़ी थी जिससे उसके माता पिता परेशान थे ।

 आदमी सारी बात गांधीजी को बताता है। गांधी जी थोड़ा सा विचार करके उनके बेटे को अगले दिन उनके साथ आश्रम मे लाने की बात कहते है। अगले दिन लडका अपने माता पिता के साथ आश्रम आता है। गांधीजी से भी मिलता है। गांधीजी उस लडके से कहते है – ” चलो बेटा हम दोनो थोडी देर बगीचे मे घूम कर आते है ।” लडका हाँ कह देता है ।
गाँधी जी उस लड़के से कहते है – ” बेटा तुम्हारे माता पिता तुम्हारे बारे मे बता रहे थे कि तुम पढ़ाई मे बहुत होशियार हो।” 
लडका हल्का सा मुस्कुरा देता है ।आगे गाँधी जी कहते हैे – ” पर तुम्हारी एक शिकायत भी है कि तुम बीडी भी पीते हो।”
 लडका आंखे झुका लेता है । ओर वही जवाब देता है – “मैँ यह आदत छोड दूंगा।”
गांधीजी बगीचे मे चलते चलते एक छोटे से पौधे की ओर इशारा करते है ओर लडके से कहते है – ” क्या तुम इस पौधे को उखाड़ सकते हो।”
” हाँ बिल्कुल ।” लडका कहता है। और अपने एक हाथ से पकड़ कर हलका सा ताकत लगाकर उस पौधे को उखाड़ देता है।
 गांधी जी आगे बढ़ जाते है और एक  बडे पोधे की ओर इशारा करते हुए कहते है – ” क्या तुम इसे भी उखाड़ सकते हो।”
 लडका हा कहता है और दोनो हाथो से पकड़ कर थौडा ताकत लगता है और उस पोधे को उखाड़ देता है। गांधीजी मुस्कुराकर लडके के साथ आगे बढ़ते है और एक छोटे  पेड की और इशारा करते है और उस लड़के से कहते है कि क्या तुम इसे भी उखाड़ सकते हो।
 लड़का बिना कुछ बोले अपने दोनो हाथो से उस पेड़ को उखड़ने की पूरी कोशिश करता है पर वो उखाड़ नहीँ पाता।
लडका कहता है – ” बापू यह तो पेड़ है इसकी जड़ेँ बहुत गहरी है यह नहीमहात्मा गांधी के अनमोल विचार  उखड़ेगा । “
उसी पेड़ के नीचे बैठकर गाँधी जी उस लड़के को समझाते है – ” बेटा जिस तरह तुमने पहला पौधा जो कि बहुत छोटा था बड़ी आसानी से उखाड़ दिया जबकि दूसरा थोडी ताकत लगाकर उखाड़ दिया जबकि तीसरा पूरी ताकत लगाने के बाद भी नहीँ उखाड़ पाए , उसी तरह बुरी आदते होती है। हम जितना जल्दी इन्हे उखाड देते है यह आसानी से छूट जाती है नहीँ तो ये हमारे जीवन में अपनी जड़े इस तरह गहरी कर लेती है कि इन्हे उखाड़ पाना आसान नहीँ होता। अपनी आदतोँ को छोड दो। नही तो जिस तरह यह पेड़ जमीन से अलग नहीँ हो पाया, उसी तरह बुरी आदते तुम्हरी जिंदगी से कभी अलग नही होगी।
यह बात लडके के मन को छू जाती है और वह संकल्प लेकर उस आदत को छोड देता है।
moral –  मेने अपने कई दोस्तो को देखा है जिनको बीड़ी , सिगरेट , गुटखे , तंबाकू ,शराब आदि की आदत थी , जो कई बार बेठकर कसमेँ खाते थे उसे छोड़ने की। पर फिर उसी ओर चले जाते थे जबकि कुछ दोस्तो ने उसकी आदत के पौधे को उखार दिया। हमें बुरी आदतों को जितना जल्दी हो सके अपने जीवन से अलग कर देना चाहिए क्योंकि बुरी आदतें वहीँ छोड पाते है  जिनका attitude strong  होता है ।
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