Yoga and Suryanamaskar in Hindi. योगा और सूर्य नमस्कार - Moral Mantra

Yoga and Suryanamaskar in Hindi. योगा और सूर्य नमस्कार

Yoga शब्द की उत्त्पत्ति संस्कृत के “युग ” शब्द से मानी जाती है जिसका अर्थ होता है जोड़ना (join or unit ) . अपने mind , body और आत्मा को प्रकृति से जोड़ना ही yoga का काम है। Yoga लगभग 5000 साल पुरानी भारतीय कला है। जिसमें श्वांस पर नियंत्रण , सरल ध्यान ओर विशिष्ट exercise की जाती है। आज साडी दुनिया ने भी yoga की शक्ति को पहचाना है और हर वर्ष 21 जून को “विश्व योग दिवस ” मानाने का निर्णय किया हैं।

योगा के लाभ

 The Benefits of Yoga

yoga वजन में कमी, एक मजबूत और लचीला शरीर, चमकदार  खूबसूरत त्वचा

, शांतिपूर्ण मन, अच्छे स्वास्थ्य विभिन्न रोगो  में बेहद कारगर साबित होता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात yoga सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से और भावनात्मक रूप से संतुलित बनाता है।
योगा के मुख़्य लाभ The main benefits of yoga–

  • शरीर का लचीलापन बढ़ता है।(It increases flexibility)
  • शरीर में रक्त संचार बढ़ता है।( Increases blood circulation ).
  • तनाव से राहत (Stress relief)
  • मन की शांति (Inner peace)
  • मांसपेशियां मजबूत होती है। (increases muscle strength.) 
  • रोग प्रतिरोधी क्षमता में बढ़ोतरी (Improved immunity)
  • हृदय और फेफड़े मजबूत होते है। (strong heart and lungs.)
  • ऊर्जा में वृद्धि होती है। (Increased energy ) 

 

    योग के नियम और ध्यान देंने वाली बातें

    Yoga Rules and Things to note

     

    • योग करते समय ढीले और आराम दायक कपडे पहनें। 
    • योग खुले और हवादार जगह पर करें। 
    • योग करते समय अपने आप पर ध्यान रखे। mobile और pet animals को साथ न रखे। 
    • योग करते समय गहरी श्वांस का प्रयोग लाभदायक होता है। 
    • योग हमेशा खाली पेट करें।  
    • यदि आपने नास्ता किया है तो नाश्ते के ढेड़ से २ घंटे बाद योग करे। 
    • योग के पहले अपने आप को थोड़ा warmup कर ले।  

      सूर्य नमस्कार

       sun salutations

      योग में सूर्य नमस्कार का मुख्य महत्व है , भारत में सुर्य ऊर्जा और ज्ञान का प्रतिक माना जाता है इसलिए योग में सूर्य नमस्कार मुख्य तौर पर किया जाता है।
      सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है।सूर्य नमस्कार करने से ही संम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ मिल जाता है।   इसके अभ्यास से शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है। सूर्य नमस्कार ‘ सभी  के लिए भी उपयोगी बताया जाता  है।

      सूर्य नमस्कार के मुख्य आसन 
      The main postures sun salutations

      1. प्रणामासन – दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हो जाए और आँखे बंद कर ले 
      2. हस्त उत्तानासन – श्वांस लेते हुए दोनों हाथो को कानों से लगाते हुए ऊपर की और ताने और हाथों और गर्दन को पीछे की और झुकाए।
      3. उत्तानासन– श्वांस को बाहर की और छोड़ते हुए आगे की ओर  झुके, हाथ गर्दन के साथ कानो से लगे हुए निचे जाकर जमीन को touch करे। 
      4. अश्व संचालनासन – श्वांस लेते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाए और छाती को आगे की और ताने , गर्दन को पीछे की ओर झुकाए पंजा खड़ा और टांग तनी हुई रखें। इसी position में कुछ देर रुके।
      5. चतुरंग दंडासन -श्वांस छोड़ते हुए दुसरे पैर को भी पीछे ले जाए। दोनों एड़ियाँ मिली हुई हो पीछे की और शरीर को खिचे एड़ियों को ज़मीन से मिलाने का प्रयास करे पितम्बों को ऊपर उठाएं। 
      6. अष्टांग नमस्कार – धीरे -धीरे निचे झुके और दोनों पैर की उंगलिया , दोनों घुटने , दोनों हथेलियाँ , छाती और ठुड्डी इन आठ अंगो को जमीन से स्पर्श करे।
      7. भुजंगासन – अब श्वांस लेते हुए छाती आगे की ओर खींचते हुए दोनों हाथों को सीधा कर ले गर्दन को पीछे की ओर ले जाए। छूटने जमीन पर स्पर्श करते हुए पैरों के पंजो पर खड़े रहे।
      8. अधोमुक्त शवासन – अब फिर से (पाँचवा आसन )श्वांस छोड़ते हुए दुसरे पैर को भी पीछे ले जाए। दोनों एड़ियाँ मिली हुई हो पीछे की और शरीर को खिचे एड़ियों को ज़मीन से मिलाने का प्रयास करे पितम्बों को ऊपर उठाएं।
      9. अश्व संचालनासन – अब श्वांस लेते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाए और छाती को आगे की और ताने , गर्दन को पीछे की ओर झुकाए पंजा खड़ा और टांग तनी हुई रखें। इसी position में कुछ देर रुके।   ( चौथा आसन )
      10. उत्तानासन  – श्वांस को बाहर की और छोड़ते हुए आगे की ओर  झुके, हाथ गर्दन के साथ कानो से लगे हुए निचे जाकर जमीन को touch करे। ( तीसरा आसन )
      11. हस्त उत्तानासन – श्वांस लेते हुए दोनों हाथो को कानों से लगाते हुए ऊपर की और ताने और हाथों और गर्दन को पीछे की और झुकाए।( दूसरा आसन )
      12. प्रणामासन – दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हो जाए। ( पहला आसन )

      इस तरह से अगली बार बाए पैर की जगह दाहिने पैर को पीछे ले जाए। (आसन 4 और आसन 9 में )
      अपनी क्षमता के अनुसार सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें।

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