Imandari Ka Beej Motivational Story In Hindi. इमानदारी का बीज - Moral Mantra

Imandari Ka Beej Motivational Story In Hindi. इमानदारी का बीज

एक बहुत बडी कंपनी होती हैं।जिसकी कई देशोँ में ब्रांच होती है। कंपनी का मालिक बूढ़ा हो चुका होता है। उसने अपनी सारी जिंदगी कंपनी को देकर उसे एक पहचान दी ओर एक बहुत बड़ी कंपनी बनाया। इसी कारण उसने शादी भी नहीँ की थी ओर इसलिए उस कंपनी का उसके बाद कोई वारिस नहीँ था।

कंपनी का मालिक जिसने की बडी मेहनत और ईमानदारी से उस कंपनी को इस पोजीशन तक पहुंचाया था। वह उस कंपनी के employee मेँ से ही किसी एक को उस कंपनी का मालिक बनाने की सोचता है। इतने लोगो मे से वह ईमानदार मेहनती और सच्चा वारिस केसे चुने , यह उसके सामने एक समस्या आती है ।
एक दिन वह अपनी कंपनी मेँ से 50 employees को चुन कर अपने ऑफिस में बुलाता है ओर कहता है – ” जैसे की आप सभी लोग जानते हो कि इस कंपनी को मैने बडी मेहनत से इस पोजीशन तक पहुंचाया है । और मेरे बाद इस कंपनी का कोई वारिस नही है , इसलिए मै तुम 50 लोगों में से किसी एक को कंपनी का वारिस बनाउंगा जो कि कंपनी का अच्छे से ध्यान रख पाए और उसे अच्छे से चला पाए।”
सभी लोग मन ही मन बड़े खुश होते है।
 कम्पनी का मालिक बोलता है – ” मैँ तुम सभी लोगोँ को एक-एक पौधे का बीज दे रहा हूँ , तुम लोग अपने-अपने बीज को एक गमले में लगाना है।रोज पानी देना है , समय पर खाद देना है और उसका ध्यान रखना है।तीन महीने बाद जिसका भी पौधा सबसे बडा होगा , मै उसे इस कंपनी का मालिक बनाऊंगा।”
यह बात सुनकर सभी लोग खुश हो जाते है और अपना – अपना बीज लेकर घर चले जाते है।अपने परिवार वालो को बताते हैं ।
उनमेँ से एक विजय नाम का employee भी होता है जो अपनी बीवी की जा कर सारी बात बताता है।
सभी लोग गमले खरीदकर कर अपने – अपने बीज लगा देते है ।और उसे पानी देना शुरु करते है ओर पोधे के निकलने का इंतज़ार करते है ।
रोज ऑफिस मेँ सभी लोग पोधे की बात करते है कोई कहता है ” मेरे पौधा निकल आया है। ” तो कोई कहता है मेरा पौधा इतना बडा हो गया है।”
पर विजय चुप रहता है ओर रोज घर आकर गमले को देखता है। उसमें कोई पौधा नही उगता है। वह बडा परेशान होता है।
अपनी बीवी को सभी की बाते बताता है और अपने आप को कोसा है ” शायद मेरी किस्मत ही खराब है जो मेरा बीज शायद सड़ गया इसीलिए अभी तक नहीँ उगा।” 
उसकी wife उसको समझाती है – ” तुम अपना काम जो तुमको बताया है इमानदारी से करो।बाकि ऊपर वाले पर छोड दो , जो होता है अच्छे के लिए होता ही होता है ।” 
विजय उदास मन के साथ अपना काम इमानदारी से करता है।
तीन महीने बाद कंपनी का मालिक सभी को अपने – अपने गमले लेकर बुलाता है। सभी लोग अपनेे – अपने ग़मले लाते है।कोई फूलो से सजा कर लाता है , तो कोई हार पहना कर ।
विजय भी उदास मन के साथ अपना बिना पौधे का गमला ऑफिस मेँ लेकर आता है ।
कंपनी का मालिक आता है और सभी के गमले एक करके देखता है और कहता है – ” सभी के पौधे बहुत बढिया है।” आगे बढ़कर विजय के पास जाकर कहता है – ” अरे तुम्हारा पौधा कहाँ है ? ” विजय अपनी गर्दन झुका लेता है और सभी लोग हंसने लगते है ।
कंपनी का मालिक सभी से कहता है – ” आप सभी ने तीन महीने तक बड़ी मेहनत से अपने – अपने पौधे को पानी पिलाया और उस की सेवा की है। अब विजेता चुनने की बरी है।”
सब लोगो में उत्सुकता बढ़ जाती है। कंपनी का मालिक कहता है – “अब से जो कंपनी का मालिक होगा वह है विजय” सभी लोग आश्चर्यचकित हो जाते है और विजय के गमले की तरफ देखते है , पर उसका गमला तो खाली था।
कंपनी का मालिक कहता है – ” आज से 3 महीने पहले मैने जो बीज आप लोगो को दिए थे , वास्तव में वह बीज उबले हुए बीज थे।ओर और उबला बीज कभी अंकुरित नहीँ होता है। तुम सभी लोगो ने सोचा की सिर्फ तुम्हारा ही बीज सड़ा है इसलिए तुम लोगो ने मार्केट से दूसरा बीज लाकर बिना किसी को बताए अपने गमलोँ मेँ लगा दिया।
पर विजय ने उसी इमानदारी , लगन और धेर्य के साथ उसी बीज को पानी पिलाया जो मेने उसे दिया था।इसलिए विजय ही कंपनी का सच्चा वारिस है ।”
सभी लोगोँ की आँखें झुक जाती है।और विजय को अपनी ईमानदारी और धैर्य का फल मिल जाता है।
 Moral – हमेँ हमेशा अपना काम इमानदारी से करते रहना चाहिए , उसका फल आज नहीँ तो कल मिलता जरुर है।
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