Moral Story In Hindi On Feeling. एक अहसास
Moral Story In Hindi On Feeling
दुकानदार पूछता है – “क्या चाहिए बेटा।”
बच्ची – “अंकल मुझे मेरे लिए एक पिल्ला चाहिए।”
दुकानदार – “तुम यहां देख लो बेटा, यहां सभी पिल्ले एक रेट के हैं। तुम्हें जो पसंद आए ले लो।”
बच्ची सभी पिल्लों को एक एक करके देखती है और रेट पूछती है।
दुकानदार – ” हमारी दुकान की पॉलिसी हो बेटा आप कोई सा भी पिल्ला 500 रु. में ले सकते हो।”
तभी बच्ची की नजर एक कोने में बैठे पिल्ले पर जाती है। जो उदास बैठा था।
बच्ची – “अंकल वह इन सबसे दूर क्यों बैठा है।
दुकानदार – ” बेटा वह सेल के लिए नहीं है।”
बच्ची – ” क्यों ? ”
दुकानदार – ” बेटा उसका एक पैर टूटा है, इसलिए हमने उसको अलग रखा है।”
बच्ची – ” यह कितने का है अंकल ? ”
दुकानदार – ” यह भी 500 रु. का ही है, यह हमारे यहां की पॉलिसी है।”
” ठीक है अंकल मैं कुछ देर में आती हूँ।”
यह कहकर बच्ची चली जाती है और कुछ देर बाद वापस आती है और लंगड़े पिल्ले की ओर इशारा करते हुए बोलती है – ” मुझे वह लेना है अंकल यह लो 500 रु.।”
दुकानदार – पर बेटा वह तो लंगड़ा है, उसका एक पैर टूटा है। उसकी जगह तुम कोई भी अच्छा पिल्ला ले सकती हो।”
बच्ची – ” नहीं अंकल मुझे वहीं चाहिए। ”
दुकानदार – ” ठीक है।”
दुकानदार उस पिल्ले को बच्ची को दे देता है। बच्ची उसे लेकर दुकान से बाहर जाती है। तभी दुकानदार पूछता है – ” बेटा इतने पैसे में तुम अच्छा पिल्ला भी ले सकती थी पर तुमने इस लंगड़े पिल्ले को ही क्यूं चुना ? ”
बच्चे बिना कुछ जवाब दिए अपनी स्कर्ट थोड़ा ऊपर करती है और अपने पैर की ओर इशारा करती है। उसका भी एक तरफ का आधा पैर नकली लगा था।
दुकानदार समझ जाता है कि किसी दूसरे का दर्द भी वही समझ सकता है जिसने वैसा ही दर्द झेला हो।
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About Author
Pavan Choudhary
Hi friends i have 8 years experience of marketing and sales from a sales executive to branch manager. i sale products , teach how to sale , build a team , lead a team and also manage sales office. so this is all about my experience know more about me in About us page .
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Bahut hi achha ji