Chanakya Quotation in Hindi. चाणक्य के अनमोल विचार - Moral Mantra

Chanakya Quotation in Hindi. चाणक्य के अनमोल विचार

Chanakya Quotation in Hindi – चाणक्य एक महान व्यक्ति थे , जिन्होंने अपनी बुद्धि और क्षमताओं के दम पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया।  चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ , चतुर कूटनीतिज्ञ और एक अर्थशास्त्री के रूप में भी प्रसिद्ध हुए।
इतना समय गुजरने के बाद भी चाणक्य के द्वारा बताए गए सिद्धन्त और नीतियाँ आज भी management के लिए बहुत ही उपयोगी हैं।

 चाणक्य के अनमोल विचार 

Chanakya Quotation in Hindi

 
1. कुशल व्यक्ति सदा सुखी रहता है।
– Chanakya (चाणक्य) 

2. ईमानदार का हर काम खुलेआम होता है।
– Chanakya (चाणक्य)
 
3. गंभीरता सज्जनों का सर्वप्रथम गुण होता है। 
– Chanakya (चाणक्य)
4. मौका पड़ने पर चतुर जन गधे को भी बाप बना लेते है।
– Chanakya (चाणक्य)
 
5. दुष्ट के सामने गिड़गिड़ाने से वह नहीं मानता , जबकि थप्पड़ से सीधा होता है।
– Chanakya (चाणक्य)
 
6. खोटे मनुष्य का साथ न करो।
– Chanakya (चाणक्य)
 
7. जब तक गरज तब तक साथी।
– Chanakya (चाणक्य)
 
8. जो तुम्हारी बात सुनते समय इधर – उधर देखे उस पर कभी विश्वास मत करो।
– Chanakya (चाणक्य)
 
9. सर्प को आहत मत करो , फन सहित कुचलो।
– Chanakya (चाणक्य)
10. विश्वरूपी वृक्ष के अमृत के समान दो फल हैं – सरस प्रिय वचन और सज्जनो की संगति।
– Chanakya (चाणक्य)
 
11. मनुष्य विकारो का पुतला है।
– Chanakya (चाणक्य)
 
12. विपक्ष का स्वर अनसुना करने वाला शासन अस्थाई होता है।
– Chanakya (चाणक्य)
13. गुणों से ही मानव महान बनता है , उच्च सिंहासन पर बैठने से नहीं। प्रासाद के उच्च शिखर पर बैठने से कौवा गरुड़ नहीं बन जाता। 
– Chanakya (चाणक्य)
 
14. गुणी पुरुष का आश्रय लेने से गुणहीन भी गुणी हो जाता है। 
– Chanakya (चाणक्य)
15. तरुण , सुन्दर और उच्च कुल में जन्म लेकर भी विध्याहीन मनुष्य उसी प्रकार शोभित नहीं होते , जैसे गंधहीन पलाश के पुष्प। 
– Chanakya (चाणक्य)
16. ईर्ष्या मनुष्य की सबसे बड़ी दुश्मन है।  
– Chanakya (चाणक्य)
17. परमात्मा सर्वगुण संपन्न सर्वव्यापी और सर्वज्ञाता है।  
– Chanakya (चाणक्य)
18. भली स्त्री से घर की रक्षा होती है।
 – Chanakya (चाणक्य)
18. समय देखकर काम करने वाला ही चतुर होता है।  
– Chanakya (चाणक्य)
19. उगते हुए सूर्य को सभी नमस्कार करते है। 
– Chanakya (चाणक्य)
20. मेरी चर्बी पर विनय का प्रभाव नहीं पड़ता है।  
– Chanakya (चाणक्य)
21. धीर – गंभीर कभी उबाल नहीं खाते। 
– Chanakya (चाणक्य)
 
22. दुसरो का उपहास उड़ाने से पहले अपने को देखो। 
– Chanakya (चाणक्य)
 
23. वह माता शत्रु और पिता बैरी हैं जिसने अपने बालक को पढ़ाया नहीं।
– Chanakya (चाणक्य)
 
24. पिशाच हुए बिना ऐस्वर्य इकट्ठा नहीं होता।  
– Chanakya (चाणक्य)
25. संगति ही मनुष्य का रूप बनाती है। 
– Chanakya (चाणक्य)
 
26. मनुष्य में दुसरो के प्रहार से बचने के लिए कठोर और कुटिल होने का गुण भी होना चाहिए। 
– Chanakya (चाणक्य)
 
27. एक छोटा सा कण भी शक्ति रखता है। 
– Chanakya (चाणक्य)
28. जैसे तबले पर हाथ पटकते ही तबला बोलने लगता है , उसी प्रकार थाप पड़ने पर ही अपराधी सच उगलते है।
 – Chanakya (चाणक्य)
29. फल मानव कर्म के अधीन है , बुद्धि कर्मानुसार आगे बढ़ाने वाली है। तथापि विद्वान और महात्मा भली – भांति सोच -विचारकर ही कोई काम करते है। 
 – Chanakya (चाणक्य)
30. कमल खिलता है तो भंवरे आते ही हैं , गुण है तो प्रशंसक आयेंगे ही। 
 – Chanakya (चाणक्य)
31. जहां कलह होती है वंहा लक्ष्मी नहीं होती। 
 – Chanakya (चाणक्य)
32. दरिद्रता में जितना धैर्य रखा जाए ,उतनी ही सहनशक्ति बढ़ती है। 
 – Chanakya (चाणक्य)
33. भोजन की पराधीनता मृत्यु के समान दुःख देने वाली होती है। 
 – Chanakya (चाणक्य)
34. क्रोध से मनुष्य का विनाश होता है इसिलिय क्रोध को यमराज कहा जाता है। 
– Chanakya (चाणक्य)
35. छोटे-छोटे कार्य करते-करते मनुष्य महान बन जाता है। 
 – Chanakya (चाणक्य)

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