October 25, 2015
chanchal Man In Hindi. चंचल मन
मन को काबु में कैसे करे ?
मन शांत कैसे करे ?
ये आज की दुनियां में सबसे बड़ा सवाल है। वैसे तो इसका जवाब खुद अपने पास ही होता है, व्यक्ति अपने परिस्थितियों, समस्याओं पर जीत हासिल कर ले तो हो गया मन शांत, पर रोजमर्रा की जिन्दगी में हम इसे नजर अंदाज कर देते है।
मन चंचल है और मन की चंचलता अच्छी बात है, मन की चंचलता उसके जीवंत होने का प्रमाण है और जहां जीवन है, वहॉ गति है।
मन चंचल है और मन की चंचलता अच्छी बात है, मन की चंचलता उसके जीवंत होने का प्रमाण है और जहां जीवन है, वहॉ गति है।
हमारा मन एक बिगड़ैल बच्चे की तरह है, बच्चे किस तरह प्यारे- प्यारे झुठ बोलते है, लेकिन झुठ तो झुठ होता है, इसी तरह बहाने बनाना, जिद्दी होना. जब बच्चे का मन स्कुल जाने को नही होता, तो वो बहाना बनाएगा, रोएगा, झुठ बोलेगा। बच्चो को भुख लगता है तो कुछ भी लपक कर खा लेना, गालियां सीख जाना। ये सब हरकते एक शरारती बिगड़ैल बच्चे की होती है ठीक इसी तरह ये आदते हमारे मन में भी होते है, गलत विचारे जल्दी घर कर जाती है। जैसे हम बच्चो की निगरानी करते है, वैसे ही अपने मन का भी करें।
हमारा शरीर सक्रिय रहता है, और मन का तो कोई लगाम नही होता, वो तो बस दौड़ते रहता है, जब शरीर शिथिल हो जाए तो वहीं समय होता है, जब मन अच्छे काम करें, अच्छे विचार लाए।
जब दिल- दिमाग अच्छे विचार लाए, किसी की मदद की सोचें, किसी अच्छे विचार लाए तो उसकी सराहना जरूर कीजिए, तो वहीं गलत कार्य के लिए उसे धिक्कारना भी न छोड़े। जैसे हम अपने बच्चे को दुनियां जहां की बताते है, अच्छे – बुरे की सीख देते है, वैसे ही अपने मन को भी संस्कारवान बनाए।
किसी ने सच ही कहा है कि इंसान सबसे अधिक अपने मन में बसे डर से परोशान रहता है। कबाड़ी वाले ने शक भरे नजरो से घर देखा है, कामवाली को पता है कि हमारे यहां कोई पुरूष नही है, कोई चोर या गिरोह से मिलकर लुट कर ले जाएंगे तो,…… इस तरह हजारो घटनाएँ मन में आती है, हर पल कुछ खोने का डर, उसे पाने के आनंद को भोगने नही देता। मन विचलित होकर शंका – कुशंकाओ की सारी सीमाएं लांघ जाता है। मन के अंदर गहराई से बैठा डर, हमारे आस- पास के हर शख्स को षड्यंत्रकारी मान बैठता है।
मन को हमेशा स्वस्थ रखे, स्वस्थ रखने का तात्पर्य जैसे कई लोगो में यह अवगुण होता है कि खुद ईमानदार है लेकिन दूसरो को हमेशा बेइमान संमझेंगे। कोई कुछ बोल रहा है तो उसे अपने पर मत ले। मन को संकुचित न होने दे, मन को खुले विचारों का रखिए, खराब चिंतन से बचाएं। अगर आप अपने दिलों-दिमाग को उन बातों एवं परिस्थितियों की वजह से चिंतित रखते है, जो आपके नियंत्रण में नही है तो इसका परिणाम समय की बर्बादी होगा।
किसी ने सच ही कहा है कि इंसान सबसे अधिक अपने मन में बसे डर से परोशान रहता है। कबाड़ी वाले ने शक भरे नजरो से घर देखा है, कामवाली को पता है कि हमारे यहां कोई पुरूष नही है, कोई चोर या गिरोह से मिलकर लुट कर ले जाएंगे तो,…… इस तरह हजारो घटनाएँ मन में आती है, हर पल कुछ खोने का डर, उसे पाने के आनंद को भोगने नही देता। मन विचलित होकर शंका – कुशंकाओ की सारी सीमाएं लांघ जाता है। मन के अंदर गहराई से बैठा डर, हमारे आस- पास के हर शख्स को षड्यंत्रकारी मान बैठता है।
मन को हमेशा स्वस्थ रखे, स्वस्थ रखने का तात्पर्य जैसे कई लोगो में यह अवगुण होता है कि खुद ईमानदार है लेकिन दूसरो को हमेशा बेइमान संमझेंगे। कोई कुछ बोल रहा है तो उसे अपने पर मत ले। मन को संकुचित न होने दे, मन को खुले विचारों का रखिए, खराब चिंतन से बचाएं। अगर आप अपने दिलों-दिमाग को उन बातों एवं परिस्थितियों की वजह से चिंतित रखते है, जो आपके नियंत्रण में नही है तो इसका परिणाम समय की बर्बादी होगा।
मन को हमेशा चिंतन कीजिए. चिंतीत न कीजिए, हमेशा स्वस्थ और सुंदर विचार लाए, इससे आप भी खुश रहेंगे और आपसे जुड़े हुए लोग भी।
लेखक
Maneesha Madaria
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