Geeta Gyaan Motivational Story In Hindi. पोते को मिला गीता ज्ञान
इसी तरह एक परिवार मे दादाजी अपने पोते को रोज शाम को गीता का पाठ करवाते थे। और पोता भी हमेशा बड़ी रुचि से दादाजी के साथ बैठकर गीता पाठ करता था। पर पोते को गीता मे कही गई बाते याद नही रहती थी फिर भी वह उसके दादाजी के साथ बैठ कर गीता पाठ करता था।
एक दिन पोते ने दादा से पूछा – ” दादाजी हम कई बार पूरी गीता पढ़ चुके है। फिर भी हम रोज बैठकर इसे क्यो पढ़ते है ?”
” और यह मुझे याद भी नही रहती है।”
दादाजी ने इस प्रश्न का उत्तर बैठकर समझाने की बजाए एक छोटा सा काम देख कर पोते को समझाया ताकि उसके मन की उलझन और जिज्ञासा खत्म हो जाए।
” मै तुम्हें इसका उत्तर दूंगा पर पहले तुम्हें मेरा एक काम करना होगा।” दादाजी ने कहा ।
” ठीक है बताइए दादाजी।” पोता बोला
दादाजी ने कहा – ” हमारे घर के आंगन मे जो लकड़ी की टोकरी है , जिससे हम को कोयला उठाते है। उसमे तुम्हें सामने के कुंड से पानी भरकर लाना है।जाओ ले आओ।”
घर के आंगन मे ही पानी का छोटा सा कुंड भी था।
लकड़ी की टोकरी लेकर वह सोचने लगा- ” लकड़ी की टोकरी मे इतने छेद है , इसमे पानी कैसे आएगा।”पर दादा ने बोला है तो करना पड़ेगा।
पोते ने जैसे ही पानी भरकर टोकरी निकाली ओर दो कदम ही चला और सारा पानी निकल गया।
एक बार फिर पोता कुंड के पास गया और टोकरी मे पानी भरकर भागते हुए दादा के पास आया लेकिन फिर भी पानी निकल गया था।
पोते ने दादाजी की तरफ देखा और एक बार फिर जल्दी जल्दी पानी लेने चल दिया।
अबकी बार पोते ने जैसे ही पानी भरा वैसे ही तेजी से भागते हुए दादा के पास आया लेकिन फिर ही पानी निकल चुका था।
दादा जी के सामने खड़े होकर पोता जोर से बोलता है – ” दादाजी इसमे पानी कैसे आएगा ? इसमे तो इतने सारे छेद है। मै कब से प्रयास कर रहा हूँ।”
दादा जी मुस्कुराते हुए बोले – ” तुम सही कह रहे हो बेटा इसमे कभी पानी टिक नही सकता।”
” तो फिर आपने मुझे पानी लेने क्यो भेजा ? ” पोता बोला ।
दादा जी बोले – ” अच्छा तुम बताओ जब तुमने पानी लाने के लिए टोकरी उठाई थी तो टोकरी कैसी थी ? “
पोता बोला – ” इसमे हम कोयला उठाते है। यह पूरी काली थी। “
” और अब ? ” दादा ने पूछा ।
टोकरी देखते हुए पोता बोला – ” यह अब साफ लग रही है।”
फिर दादा ने पोते को समझाया और कहा जिस तरह इस टोकरी मे पानी ज्यादा समय तक नही रह सकता, उसी तरह हमारे दिमाग मे भी सारी अच्छी बाते हमेशा नही रह सकती है लेकिन फिर भी बार – बार प्रयास करने पर धीरे – धीरे यह टोकरी साफ होती गई। उसी तरह जब अच्छी बाते बार – बार हमारे दिमाग मे जाती है , तो हमारे दिमाग की गंदगी या कालिख भी धीरे धीरे कम हो जाती है।
यह सुनकर पोते को समझ आ गया कि वह रोज गीता का पाठ क्यो करते है और पोता फिर से गीता पाठ करने बैठ गया।
अर्थात जिस तरह कुए के पत्थर पर बार बार पानी निकालते समय जब रस्सी आती जाती है तो कठोर पत्थर पर भी मुलायम रस्सी निशान बना देती है।
वैसे ही बार – बार अभ्यास करने से एक मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञानवान बन जाता है।
उसी तरह जब हमारे दिमाग मे भी अच्छे विचार बार – बार आते है तो हमारी सोच , विचार , स्वाभाव और बातें भी अपने आप अच्छे बन जाते है ।
- गांधीजी की सिख
- जीत की आग
- सफलता का राज
- बीरबल की सीख
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Pavan Choudhary
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बहुत ही अच्छा article है। Very nice …. Thanks for this!! 🙂 🙂
bahut hi achchha hai apki yeh bate .
lekin mai achchha kaisa banu .mai banana chahta hoon lekin ban nahin pata hoon