Manjeel Ab Dur Nahi Motivational Story In Hindi. मंजिल अब दूर नहीं

मन में सोच यदि सकारात्मक हो और कुछ कर गुजरने की ललक हो तो मंजिल पाने से हमें कोई नही रोक सकता, इस बीच लाख बाधाएं ही क्यों न आए. अब मंजिल दूर नहीं जरा कदम बढ़ाओ, चलिए इसे एक छोटी सी कहानी से समझते हैं.
रायपुर के एक छोटे से गांव एक बच्चा कार्तिक नाम का लड़का रहता था। एकदम सीधा व शांत स्वभाव का,पढ़ाई लिखाई के अलावा उसको किसी में मन नही लगता था, इसलिए उसके स्कुल के सारे बच्चे उसे चिढ़ाते रहते थे।

शांत स्वभाव व खेलकुद में रूचि न होने की वजह से उसके स्कुल के टीचर भी परेशान रहते थे, वहॉ के टीचर्स उसे समझ न सके, कार्तिक को वहॉ सब बेवकुफ ही समझते थे। एक दिन कार्तिक की मम्मी उसके रिजल्ट जानने उसके स्कुल गई और टीचर से कार्तिक के बारे में पुछी वहॉ हर एक टीचर ने शिकायत की और प्रिसिंपल ने कहा कि अपने जीवन के 25 साल के कार्यकाल में ऐसा लड़का न देखा, जो न सांस्कृतिक कार्यक्रम में, न खेलकुद में, और न ही कोई अन्य में भाग लेता हैं , पढ़ाई में भी एवरेज है, ऐसा सुस्त लड़का मैने कभी न देखा, ये जीवन में कुछ न कर पाएग। यह सुनकर कार्तिक की मॉ बहुत आहत हुई, वो शर्म के मारे गांव छोड़कर एक शहर चली गई। वहॉ वो दिन-रात मेहनत करके कार्तिक को एक अच्छे स्कुल में एडमीशन करवाई और उसी समय कार्तिक ने प्रण किया कि वो एक सफल डॉक्टर बनेगा।

20 साल बाद जब कार्तिक के पहले स्कुल के टीचर को जब दिल की बिमारी हुई तो सबने शहर के नामी हॉस्पीटल का नाम सुझाया जो ओपन हार्ट सर्जरी करने में माहिर था, टीचर ने वहॉ जाकर इलाज करवाया और ऑपरेशन कामयाब रहा, जब वो बेहोशी से वापस आया और जब ऑख खुली तो एक सुन्दर सा सुडौल नौजवान डॉक्टर अपने बेड के बगल में खड़े होकर मुस्कुराते हुए देखा, वो टीचर डॉक्टर को शुक्रियॉ बोलने ही वाला था, कि कार्तिक ने अपना परिचय दिया। टीचर असमंजस में था, आखिर ये कैसे हुआ।
ये था कार्तिक की मम्मी का सपना, जिसे कार्तिक ने अपनी मंजिल बनाया। 
धन्य है ऐसे माता-पिता और गुरूजनो का जो अपने अथक परिश्रम और त्याग की बदौलत कार्तिक व उससे सम्बंधित लोगो को झुमने पर मजबुर कर दिया। आज ऐसे अनेक होनहार बच्चे है, जिन्होने इस भागमभाग जीवन से निकलकर, मोबाइल, टीवी आदि की चहल-पहल से निकलकर अपने लक्ष्य पर ध्यान देते है.
जी हॉ सफलता उनको ही मिलती है, जो कुछ करते है, कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही बल्कि कड़ी मेहनत करना पड़ता है. कैरियर बनाने का अवसर तो सभी को मिलता है, कोई पिछड़ जाता है, कोई आगे निकल जाता है। पिछड़ने वाला हमेशा किस्मत को कोसता है, लोकिन वह यह नही सोचता कि उसके प्रयासो में कहॉ कमी रह गई. मंजिल को पाने के लिए क्या सही है और क्या गलत ये छोड़कर सिर्फ मंजिल पर ध्यान देना चाहिए।
प्रण करो कि कुछ करना है, तो अपने भीतर के ललक को बिना हिचकिचाहट के बाहर लाओ, फिर देखो सफलता कैसे करीब आती है. अगर हम निश्चित लक्ष्य बनाते है तो लक्ष्य हमें एकाग्र बनाता है, लक्ष्य प्रगति का मापक है, लक्ष्य हमे अविचलित रखेगा व लक्ष्य हमे प्रेरित करता है, तो मित्रो बिना लक्ष्य के आप कितनी भी मेहनत कर लो सब व्यर्थ जाएगा, अपनी पुरी ऊर्जा किसी एक लक्ष्य पर लगाओगे तो निश्चय ही सफलता आपके कदम चुमेगी.
कहानी लेखक 
Maneesha Madaria
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