Hindi Motivational Story On Positivity..मानसिकता का असर
इस कहावत की मूल कहानी इस प्रकार है – एक व्यापारी के दो बेटे थे, एक का नाम विनय व दूसरा मितेष। दोनो को व्यापारी ने खूब पढ़ाया, अच्छे संस्कार दिए। उनके दोनो बेटे तार्किक बुध्दि वाले व गुणी थे, दोनो एक – दूसरे के सच्चे दोस्त थे।
समय बीता दोनो यूवा हो गए। विनय एक सकारात्मक सोंच व विचारों के धनी था, वो हर एक
कार्य को आराम से सोंच- समझकर पूरा करता, कोई भी कार्य धैर्य के साथ करता और हमेशा सकारात्मक सोंच रखता। वहीं मितेष कोई कार्य करने से पहले सोचता वो मुझसे नहीं होगा, बहुत खर्च आएगा, काम नहीं हुए तो पैसे डूब जाएंगे ऐसे तरह-तरह के बाते उसके मन में घर कर लेतीे थी, वो हमेशा हड़बड़ाहट में कार्य पूरा करता। मितेष हमेशा अपने कैरियर और एकेडमिक गोल्स के पीछे भागते रहता था और हमेशा अपना नज़रिया नकारात्मक रखता था और उसके भाई विनय की जिन्दगी का मकसद सिर्फ यही था कि वो एक बैलेंस और सक्सेसफुल लाईफ जिये। आज विनय एक बहुत बड़ा बिजनेस टाइकुन है, और मितेष शिक्षण संस्थान में अपने सेवाएँ दे रहे है.
हौसले बुलंद हो तो जीत हो सकती है, हर व्यक्ति को अपने मन, दिल-दिमाग को तैयार रखना चाहिए, क्योकिं हर एक की जिंदगी मे अलग-अलग समस्याएँ होती है, अपने मन में साहस, धैर्य व सकारात्मकता लानी चाहिए। यदि एक बार व्यक्ति का मन साहस से भर जाए तो कोई बाहरी आघात उस पर प्रभावी नही होगा, मन में दुर्बलता नही लानी है. मन को सबल और सकारात्मक बनाएं,ऐसे में उसे एक प्रभावशाली व सफल व्यक्तित्व के रूप में बनने से कोई नही रोक सकता।
व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माण स्वयं कर सकता है, ब्रम्हांड की सारी शक्तियां हमारी है, वो हमीं है जो अपने ऑखो पर हाथ रख लेते है और रोते है कि कितना अंधकार हैं.
व्यक्ति को अपनी मानसिकता इस प्रकार से निर्मित करना चाहिए कि जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियॉ भी उसको विचलित न कर सकें।
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Pavan Choudhary
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